-राय साहब पाण्डेय
मुड़-मुड़ के ही सही निगाहें करम रखना,
नज़रें झुकाए बिना खुद से मिला सकना,
दुनियां की रीत देती है वहमों को बस हवा,
देखा है लोगों को भ्रमों-जाल में फंसते मैंने |
रिश्तों की डोर थाम के झटको न इस कदर,
उलझे हैं कोई बात नहीं सुलझेंगे एक दिन,
वक्त बीतेगा जख्म भरने का भरोसा तो है,
रिश्तों में पड़ी गाँठ को सिसकते देखा मैंने |
दिल के रिश्ते से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता.
अपना हो कोई गैर हो कुछ फर्क नहीं पड़ता,
मासूम आँखें मुस्कुराहटों की मुहताज नहीं,
गैरों के
लिए भी बेगानों को मरते देखा मैंने |
सूखी आँखों की नमी अश्क बन के यूँ ढरकी,
कि गर्म बूंदों की जलन से हुए शीतल कंधे,
बंद
निगाहों में भी बहती गुबारों की लड़ियाँ,
नासूर
जख्मों को भी देखा है पिघलते मैंने |

Beautiful 😊 Relationships can only be really good if there is expectationless love, the relationship of the heart as you say. Loving without calculation, giving people what they need rather than what we think they deserve. Thanks
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