मासूमियत
-राय साहब पांडेय
मुस्कान हो या हो रुदन
जागृत हो या हो शयन
चंचल हो या हो शिथिल
शिशु की भोली सूरत से
कौन है जो बच पाएगा ?
आँख की भाषा पढ़नी हो
कर्कश हो या कोमल हो
मन की बात बूझनी हो
शिशु की भोली हरकत से
कौन है जो बच पाएगा ?
अक्ल से क्या है लेना-देना
समझ-बूझ ना जादू-टोना
मन निश्छल तन सोना
शिशु की प्यारी बोली से
कौन है जो बच पाएगा ?
रुकने चलने का बोध नहीं
गिरने उठने का क्षोभ नहीं
बाहर हो या घर का कोना
शिशु की डगमग चालों से
कौन है जो बच पाएगा ?
हानि-लाभ का भेद नहीं
अलगाव-पास का चेत नहीं
पल में हँसना पल में रोना
शिशु के इन क्रियाकलापों से
कौन है जो बच पाएगा ?
सुख-दुःख की मोह न माया
ना चाहे क्षत्र न कोई छाया
सब अपना ना कोई पराया
शिशु की सहज किलकारी से
कौन है जो बच पाएगा ?
बचपन जीवन का संतोष
सम्यक होता ज्ञान बोध
कर लो चाहे जितना शोध
शिशु की मासूम झोली से
कौन है जो बच पाएगा ?

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